MP में तूफान से पहले की शांति, आज गवर्नर पहुंचेंगे भोपाल, कांग्रेस-BJP ने की MLA की घेराबंदी

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करने बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल गहरे हो गए हैं. सिंधिया के 22 समर्थक कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफा के बाद अब सारा दारोमदार विधानसभा अध्यक्ष पर आ गया है और लोगों की नजर राजभवन पर है. बगवात और टूट-फूट का डर कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में है. कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर में तो बीजेपी ने अपने विधायकों को हरियाणा के मानेसर के होटल में रखा है.


मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन गुरुवार को लखनऊ से भोपाल पहुंच रहे हैं, जिसके बाद राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलेगा. कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी उठापटक तेज होने की संभावना है. 16 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है, जो खासा गहमा-गहमी भरा होगा. बीजेपी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ही शक्ति परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) की मांग कर सकती है.


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अब तक कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे देने की बात सामने आई है, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष को फैसला करना है. ऐसे में अगर विधानसभा स्पीकर मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर निर्णय लेने में देर करेंगे तो बीजेपी नेता प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति से वाकिफ कराने के लिए राजभवन जा सकते हैं और लालजी टंडन से स्थिर सरकार का मौका देने की गुहार लगा सकते हैं.



 


विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले सरकार को बहुमत सिद्ध करने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में सारा दारोमदार राज्यपाल टंडन पर है कि बीजेपी की ओर से उठने वाली ऐसी मांग पर वह क्या निर्णय लेते हैं. अभिभाषण के पहले भी बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग उठा सकती है. इस मांग से राज्यपाल सहमत हुए तो सत्र शुरू होने से पहले ही फ्लोर टेस्ट की नौबत आ सकती है.


एमपी विधानसभा का आंकड़ा


ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्रियों-विधायकों के मुख्यमंत्री कमलनाथ से दूरी बनाने की वजह से कांग्रेस सरकार पर खतरा साफ दिखाई दे रहा है. कांग्रेस के 114 विधायक में से 19 विधायक बेंगलुरु में हैं. इसके अलावा तीन विधायक बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंषाना व मनोज चौधरी भी कांग्रेस के खिलाफ हैं. इस तरह मौजूदा स्थिति में कमलनाथ सरकार के पक्ष में कांग्रेस के 92 विधायक हैं. चार निर्दलीय और तीन बसपा-सपा के विधायकों को भी इसमें जोड़ लिया जाए तो 99 विधायकों का कमलनाथ सरकार को समर्थन है.


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सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों का इस्तीफा अगर स्वीकार हो जाता है तो फिर कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट में 104 विधायकों का आंकड़ा जुटाना होगा. वहीं, बीजेपी के पास फिलहाल 107 विधायक हैं. ऐसे में कमलनाथ अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए बीजेपी में सेंधमारी की रणनीति बना रहे हैं. इनमें पहले साथ दे चुके नारायण त्रिपाठी व शरद कोल के अलावा बुंदेलखंड और महाकोशल के तीन अन्य विधायक बताए जा रहे हैं. हालांकि बीजेपी ने अपने विधायकों को सेंधमारी से बचाने के लिए जबरदस्त घेराबंदी कर रखी है.